Rishte Dhoka Rishte Matlabi Shayari (4 Lines Matlabi Log Shayari)

I. प्रस्तावना

रिश्ते हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इनके माध्यम से हम दूसरों के साथ जुड़ते हैं और समाज में संघटित रहते हैं। हालांकि, कई बार रिश्तों में मतलबीता और धोखा देने वाले तत्व शामिल हो जाते हैं, जिससे ये रिश्ते कमजोर हो जाते हैं। इस लेख में हम रिश्ते और मतलबीता के बारे में विचार करेंगे और इन दोनों के मध्य जुड़े अन्य संबंधों पर भी चर्चा करेंगे।रिश्ते मतलबी हो गए हैं,

दिलों में जगह नहीं रखते।

जब तक फायदा हो उन्हें,

वफ़ा की कसम नहीं देते।

धोखा देते हैं ये रिश्ते अजनबी,

जाने क्यों इतना मतलबी।

इस दुनिया की नियत बदल गई,

अब तो सबका दिल धोखा देता है।

धोखा देते हैं ये रिश्ते अजनबी,

जितना भी यकीन था रिश्तों में,

वो खो गया ख्वाब बनकर।

ये मतलबी रिश्ते थक गए हैं,

अब जीने को दिल तरस रहा है।

जितना भी यकीन था रिश्तों में,

रिश्ते थे प्यार के झूले से जुड़े,

लेकिन तबाही लाई मतलब की आंधी।

धोखेबाज़ रिश्ते तोड़ गए हमें,

बस इतनी सी अपेक्षा थी सच्चे संगी।

रिश्ते थे प्यार के झूले से जुड़े,

मतलबी रिश्ते हैं ये ज़माने की तर्की,

बेवफाई के रंग लाए हैं ये तेरे चेहरे।

इतना दूसरों का विश्वास भी न रख,

कि इंसान खुद को भूल जाए हैं।

मतलबी रिश्ते हैं ये ज़माने की तर्की,

रिश्तों की बाजी में मतलब का खेल है,

दिल की बातें सब के सामने फैल है।

इन खोखले रिश्तों में क्या वफ़ा होती है,

इस उलझन में दिल को तोड़ देने वाला जीता है।

रिश्तों की बाजी में मतलब का खेल है,

दिल के रिश्ते कितने नाजुक होते हैं,

मतलबी रिश्ते सबको लाचार करते हैं।

जब तक उनका इंतेजार था,

वो हमारे दिल को ही पागल करते हैं।

रिश्ते हो जाते हैं मतलबी,

दोस्ती का जला देते हैं दिया।

इन दिलों की नजरों में क्या कमी है,

कि इतनी आसानी से बदल जाते हैं रिश्ते।

जहां मतलब हो बस वहीं होता है रिश्ता,

सच्चे दोस्तों की तो कोई कदर ही नहीं।

बेवफाई के नाम पर रिश्तों का तमाशा है,

हर कोई अपने ही दोस्तों का बुरा है।

रिश्तों का धोखा रंग लाता है चेहरों पर,

मुस्कान में छुपा है दर्द और गम।

ये मतलबी रिश्ते लाए हैं खुशियों का तूफान,

जब तक फायदा हो तब तक हैं इनका तमाशा।

रिश्ते अब तो बस वादे के नाम हो गए,

मतलबीता ने छीन ली है इनकी शान।

दिलों में जगह नहीं रखते हैं अब ये रिश्ते,

चले गए हैं हमसे दूसरे दिन का इनाम हो गए।

जिंदगी में रिश्तों के बिना हम अधूरे हैं,

मतलबी रिश्ते से बेहतर है तन्हाई हमारी।

ये रिश्ते तोड़ गए हमारे ख्वाबों को,

बस इंतेजार है कब से बदलेंगे हम अपनी किस्मत को।

रिश्तों की दुनिया ऐसी है दिलचस्प,

जब तक मतलब हो थमता नहीं ये कदम।

दिलों में कच्ची नीयत का जहर घोल देते हैं,

रिश्तों की इस खेल में सब अपने ही खोल देते हैं।

मतलबी रिश्तों की जंजीरें हैं बंधी,

जिसमें हम फंसे हैं बेवजह।

चाहे कितनी भी कोशिश कर ले इंसान,

इन रिश्तों से बहार निकलना नामुमकिन है।

रिश्तों के नाम पर धोखा मिला हमें,

मतलबीता ने बनाया हमें मजबूर।

दिल ने चाहा था सच्चा संगी हमें,

लेकिन रिश्तों की इस दुनिया में खो गए हम।

रिश्तों का अर्थ हो गया है मतलबीता,

इंसानियत की खो गई है इस दुनिया में।

जब तक होते हैं फायदे, ये रिश्ते खुश रहते हैं,

जब हो जाती हैं मुसीबत, तब जाने कहाँ छुप जाते हैं।

रिश्ते होते हैं मतलबी और ज़िन्दगी नहीं,

बस इंसान के अंदर उठती हैं उनकी विभत्सता।

धोखेबाज़ रिश्तों के बाद जाने क्या रह जाता है,

अकेलापन से जीने वाला जानता है सच्चाई की महत्वता।

मतलब के साथ आते हैं ये रिश्ते,

जब तक चलता है फायदा तब तक तिकते हैं।

दिलों का सच्चा रिश्ता चाहिए हमें,

बस विश्वास और ईमानदारी चाहिए हमें।

रिश्ते इंसान के बीच मतलबी हो गए हैं,

इंसानियत भूल गई है इस जमाने में।

दिलों में जगह नहीं रखते हैं ये रिश्ते,

बस फायदा के लिए उनका लोग बदलते हैं।

रिश्तों में जो बनता है मतलब का भांडा,

उससे हैं बेहतर तो तन्हाई की जिंदगी।

धोखा देते हैं ये रिश्ते जब तक जरूरत हो,

जब छूट जाती है जरूरत, तो उनकी बस यादें रह जाती हैं।

मतलबी रिश्तों का खेल खत्म हो गया है,

अब तो सच्चे रिश्तों की तलाश है।

जहां धोखा हो और निराशा हो,

वहीं से निकलना चाहिए हमें यारों।

जिंदगी में रिश्तों की बदली हुई भाषा है,

मतलबीता के दरिया में हम पहुँच गए हैं।

जब तक चलता है मजा, तब तक थिरकते हैं ये रिश्ते,

जब सच आता है सामने, तो छूट जाते हैं बहुत दूर।

रिश्तों की दुनिया में बहक रहे हैं हम,

मतलबीता की राह पर खो रहे हैं हम।

इन रिश्तों में कहाँ है सच्चा दोस्त,

सब के चेहरे पर है बस मुस्कान की भूषा।

रिश्तों के मतलबी होते गए समय के साथ,

अब तो लोगों की भावनाएं भी बेकार होती जा रही हैं।

दिल में जगह नहीं रखते हैं ये रिश्ते,

बस उनके फायदे के लिए तब तक खेलते हैं जब तक हमारे पास होते हैं।

रिश्तों में जब मतलब होता है,

तब तक खुशियाँ छुपाई जाती हैं।

दोस्ती का वादा भी किया जाता है,

लेकिन जब आते हैं मुश्किलें, तो यादें छोड़ जाते हैं।

रिश्ते हैं अब तो सिर्फ रिश्वत के नाम,

दिल की बातें बस मुनाफे की कहानी।

अब तो सब को खेलना है अपनी खुद की गेम,

मतलबी रिश्तों को छोड़ जाना है ये बेमेल सियासत।

रिश्तों का सच्चा मतलब क्या है,

कभी नहीं समझा हमें इस ज़माने ने।

जब तक चल रही हो नफ़रत की जंग,

तब तक हम रहेंगे लाचार इस रेंज में।

रिश्तों की जगह बना ली है मतलब की दुनिया,

बस इंतेज़ार है जब तक आता है बेहतर रिश्ता।

दिल का धड़कन सिर्फ रोने के लिए होती है,

ये रिश्तों के बजाए बस मुनाफे के लिए होती है।

रिश्तों की दुनिया में हम गुम हो गए,

मतलबी रिश्तों की राह में चलते चले गए।

दिल में जगह नहीं रखते हैं ये रिश्ते,

फिर क्यों हमें याद करते हैं लोग बदलते रिश्तों के नाम।

रिश्तों के जंजीरों में हम फंस गए हैं,

मतलब की दुनिया में हम भटक गए हैं।

ये रिश्ते तो बस फायदे के लिए होते हैं,

जब तक चलता है मजा, तब तक हम जीने के बहाने करते हैं।

II. रिश्ते और उनका मतलबी रूप

कई बार हमारे जीवन में ऐसे रिश्ते आते हैं जो सिर्फ मतलब के लिए होते हैं। ये रिश्ते दिखावे के लिए होते हैं, जहां सिर्फ स्वार्थ और लाभ की सोच होती है। इन रिश्तों का आगमन हमारे जीवन में तंगी और आपातकाल का कारण बन सकता है। ऐसे मतलबीता भरे रिश्तों के कारण लोगों का मनोबल घट सकता है और यह उनके बीच असामंजस में ले जाता है।

III. रिश्तों में दोषों की वजह

रिश्तों में मतलबीता की वजह से कई दोष आते हैं। जब लोग संवेदनशीलता और मूल्यों की कमतरता दिखाते हैं, तो रिश्तों में दूसरों के प्रति आपसी विश्वासघात और स्वार्थपूर्णता बढ़ जाती है। ऐसे मतलबी रिश्तों में जीवन की कंप्लेक्सिटी बढ़ जाती है और लोगों के बीच नकारात्मकता के संकेत पाए जाते हैं।

IV. रिश्तों में एकता की अहमियत

एक ताकतवर और स्नेहपूर्ण रिश्ता हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण होता है। रिश्तों में एकता बनाये रखने से परिवार और समाज में संगठितता और विकास होता है। प्रेम, सम्मान और समानता भी एक स्थिर रिश्ते के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। युवाओं की जिम्मेदारी होती है इन रिश्तों को स्वस्थ विकास में योगदान करने की।

V. रिश्ते धोखा या रिश्तों से समर्पण

रिश्तों में धोखा देने या समर्पण करने की ताकत व्यक्ति के अनुकूलता की नजरिए से आती है। रिश्ते धोखा इसलिए देते हैं क्योंकि उन्हें सिर्फ अपने हित की चिंता होती है, जबकि समर्पण में हम दूसरों को समझते हैं और उनके हित को अपने हित से महत्वपूर्ण समझते हैं। रिश्तों को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए हमें सतर्क रहना चाहिए और संवेदनशीलता और विश्वासघात को दूर रखने का प्रयास करना चाहिए।

VI. रिश्तों में मतलबीता के खिलाफ उल्लंघन करने का अहमियत

हमें दूसरों का सम्मान करना और ईमानदारी से कार्य करना चाहिए। रिश्तों को मतलबीता से मुक्त रखने के लिए हमें खुद को स्वीकार करना और दूसरों के हित में कार्य करना चाहिए। रिश्तों को खुशहाल और खतरे से दूर रखने के लिए हमें संवेदनशीलता और समझदारी से काम करना चाहिए।

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VII. निष्कर्ष

संगठनशीलता और स्नेहपूर्ण रिश्ते हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण हैं। लोगों को मतलबी रिश्तों से सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि ये रिश्ते अक्सर अस्थिर होते हैं और धोखा दे सकते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सही कहा था, “रिश्ते में मतलब मत रखो, फिर देखो जीवन में आपकी खुशहाली ही मतलब होगी।”

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